ब्लौग सेतु....

6 जुलाई 2017

एक ख्वाब

खामोश रात के दामन में,
जब झील में पेड़ों के साये,
गहरी नींद में सो जाते है
उदास झील को दर्पण बना
चाँद मुस्कुराता होगा,
सितारों जड़ी चाँदनी की
झिलमिलाती चुनरी ओढ़कर
डबडबाती झील की आँखों में
मोतियों सा बिखर जाता होगा
पहर पहर रात को करवट
बदलती देख कर दिल
आसमां का धड़क जाता होगा
दूर अपने आँगन मे बैठा
मेरे ख्यालों में डूबा वो
हथेलियों में रखकर चाँद
आँखों में भरकर मुहब्बत
मेरे ख्वाब सजाता तो होगा।

19 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी प्रकृति पर आधारित रचना बहुत ही अच्छी है ,सुन्दर !

    आभार "एकलव्य"

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 07 जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार आपका शुक्रिया सुशील जी।

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  4. उत्तर
    1. जी, बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका नासवा जी।

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  5. कल्पनालोक की सुखद यात्रा पर ले जाते शब्द मखमली एहसास और मन के पंछी को उड़ान भरने के लिए पंख दे रहे हैं। वाह श्वेता जी !मनमोहक रचना। बधाई।

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    उत्तर
    1. बहुय बहुत आभार शुक्रिया आपका रवींद्र जी।

      हटाएं
  6. कल्पनालोक की सुखद यात्रा पर ले जाते शब्द मखमली एहसास और मन के पंछी को उड़ान भरने के लिए पंख दे रहे हैं। वाह श्वेता जी !मनमोहक रचना। बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  7. उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका संगीता जी।

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  8. वाह ! क्या बात है ! खूबसूरत ज़ज्बात ! बहुत खूब आदरणीय ।

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  9. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (07-07-2015) को "शब्दों को मन में उपजाओ" (चर्चा अंक-2660) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका आदरणीय।

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