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2 जनवरी 2017

महाभारत सन्दर्भ में +लोककवि रामचरन गुप्त का एक रसिया





उर करुणा नहिं का
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लक्ष्य तुम्हारे सामने लेउ धनुष कूँ तान।
युद्ध  भूमि में युद्ध  ही लड़ना नेक विधान।

धीर तुम धारौ निज मन।
क्या दुःशासन क्या दुर्योध  
मानवता-ममता के दुश्मन
अर्जुन सारे हैं।

उर करुणा नहिं का
को फिर  का कौ चाचा-ता  
ये रिश्ते घरबार बिका
अर्जुन सारे हैं।

रामचरन की मानौ
जल्दी धनुष वाण कूं तानौ
अर्जुन खड़े युद्ध  में जानो

शत्रु  तुम्हारे हैं।
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+लोककवि रामचरन गुप्त 

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