ब्लौग सेतु....

31 मार्च 2016

कलयुग के भगवान

                                                                                      
                                                                                                                         मैं तो सिर्फ तुमे ही मानता  महान 
तुम तो ठहरे कलयुग के भगवान 
तुम्हारी ताकत का है मुझे अंदाज़ा 
अपने  क्षेत्र  के  तुम  हो  राजा 
अपने घर भी तुमने बना दी दूकान 
तुम तो ठहरे कलयुग के भगवान 
भगवान से बड़ा है तुम्हारे लिए वोट 
वोट जो मिल गए तो बटोरो फिर नोट 
पांच साल तक रहते  फिर  अंजान 
तुम तो ठहरे कलयुग के भगवान 
जनता के भले की ली थी जो शपथ  
भोली जनता के लिए शपथ बनी कपट 
जनता तो जनता है तुम ठहरे प्रधान 
तुम तो ठहरे कलयुग के भगवान 
नौकर, बांग्ला, गाड़ी  मिले तुमे मुफ्त 
कुपथ भी होता तुम्हारे लिए सुपथ 
पार्टी चंदा लेकर बनते हैं नादान 
तुम तो ठहरे कलयुग के भगवान 
तुम्हारे गुणगान करे टीवी और अखबार 
किस्मत बदली तुमसे जुड़ा जो एक बार 
रिश्तेदार तुम्हारे सब बने धनवान 
तुम तो ठहरे कलयुग के भगवान 
कुकर्म करे फिर भी इज़्ज़त बढ़े तुम्हारी 
कई पढ़े लिखों पर एक अनपढ़ ही भारी 
बडे बडे अधिकारी भी तुमे करे प्रणाम 
तुम तो ठहरे कलयुग के भगवान 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

स्वागत है आप का इस ब्लौग पर, ये रचना कैसी लगी? टिप्पणी द्वारा अवगत कराएं...